श्रीमती रेखा राजवंशी और उनकी कहानियाँ

प्रस्तुत कहानी-संग्रह-‘ऑस्ट्रेलिया से रेखा राजवंशी की कहानियाँ ‘ उन्होंने मुझे सस्नेह भेंट किया जो किताबघर दिल्ली से प्रकाशित हुआ है . संग्रह में 18 कहानियाँ हैं जो सिडनी में बस गए भारतीयों की स्थिति व मनोदशा को चित्रित करती हैं .

Apr 24, 2024 - 12:42
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श्रीमती रेखा राजवंशी  और उनकी कहानियाँ
REKHA

सिडनी प्रवास के कई सुन्दर प्रसंगों में एक अविस्मरणीय प्रसंग श्रीमती रेखा राजवंशी जी से मिलना भी है . वे बीस बाईस वर्ष पहले दिल्ली से पति के साथ सिडनी आईं थी , अब स्थाई रूप से सिडनी में ही बस गई हैं. एक शानदार घर की स्वामिनी और सिडनी के हिन्दी जगत में बड़ा विस्तार कर चुकी एक सौम्य , मिलनसार और तमाम सांस्कृतिक गतिविधियों की संचालिका और संवेदनशील लेखिका श्रींमती राजवंशी के दो गज़ल संग्रह, ’मुट्ठी भर धूप’ (बाल-कविताएं) और सम्पादित कविताओं के अलावा शीघ्र प्रकाश्य दो पुस्तकें भी- 'ऑस्ट्रेलिया से कहानियाँ’ व ‘जीवित रहेगी स्त्री’. वे इन दिनों ऑस्ट्रेलिया के मूलनिवासियों पर शोध तैयार कर रही हैं. यहाँ बस गए तमाम भारतीयों की तरह रेखा जी भी वैधानिक रूप से ऑस्ट्रेलिया की नागरिक हैं पर व्यवहार और भाव-विचारों से वे आज भी भारतीय ही हैं . सच है कि अपनी जड़ों से कोई कट नहीं सकता . उनसे मिलकर ऐसा ही सुखद अनुभव हुआ. आशाओं और उत्साह से भरी उनकी जिजीविषा हमें उत्साहित करती है .

प्रस्तुत कहानी-संग्रह-‘ऑस्ट्रेलिया से रेखा राजवंशी की कहानियाँ ‘ उन्होंने मुझे सस्नेह भेंट किया जो किताबघर दिल्ली से प्रकाशित हुआ है . संग्रह में 18 कहानियाँ हैं जो सिडनी में बस गए भारतीयों की स्थिति व मनोदशा को चित्रित करती हैं .

सुन्दर स्वच्छ वातावरण, बेहतर सुविधाएं और अपेक्षाकृत रोजगार के अधिक अवसर होने के कारण दूसरे तमाम देशों की तरह यहाँ भारतीय भी बड़ी संख्या में कार्यरत हैं ,बहुत सारे लोग बस भी गए हैं , किन्तु जीवन में सब कुछ आसान व मनचाहा नहीं मिलता . प्रस्तुत कहानियों में जीवन के विविध रंग हैं . 

पहली कहानी ‘बहादुर माँ’ में ध्रुव से कार-एक्सीडेंट होजाने के कारण वह घबराता है कि माँ को , जो कि उसे लेकर तमाम सपने देख रही है , पता चलेगा तो क्या होगा ,पुलिस उसे लेजाएगी तो वह तो सहन ही नहीं कर पाएगी . लेकिन वह चकित होता है जब माँ सहज स्वर में कहती है – “ होता है ..पहले कुछ खा पी लो फिर थाने चलते हैं , तुम्हारी गलती नहीं थी पर तुमने अपना अपराध स्वीकार कर लिया है यह अच्छी बात है ….”  जीवन के प्रति यह दृष्टि व्यक्ति को सबल बनाती है .

‘श्यामली जीजी’ मुंबई से पति के साथ ऑस्ट्रेलिया आई एक वाक्पटु , महात्वाकांक्षी, स्वतंत्र विचारों वाली और ‘गिफ्ट ऑफ गैब’ कही जाने वाली साहसी युवती श्यामली की कहानी है जो अपने ऊँचे सपनों के रास्ते में आ रहे पति व दो बड़े बच्चों को को छोड़कर , डाक्टर चन्द्रन से शादी कर लेती है और धोखा खाती है और अन्ततः अकेली रह जाती है लेकिन अन्ततः जीने का मकसद भारत के एक अनाथालय के बच्चों में ही ढूँढ़ती है. ‘गोरी डायन’ कहानी में बिहार से आई एक सीधी सादी, पति को प्राणपण से चाहने वाली युवती रमा अपने पति सुनील को पैट्रोल डालकर जला देती है क्योंकि उसका पति उसे उपेक्षित कर एक गोरी युवती के साथ रमा हुआ था. उसे सजा होजाती है. पर उसके बच्चों की देखभाल वह गोरी युवती बड़े प्यार से करती है . यहाँ लेखिका ने रमा की मनोदशा का चित्रण इस तरह किया है कि पाठक उसके अपराध को स्वाभाविक मानें साथ ही अंग्रेज युवती का स्नेहमय मानवीय रूप भी दिखाया है जो अनाथ होगए दोनों बच्चों का लालन पालन करती है .‘अनुत्तरित प्रश्न’ और ‘रज्जो की रजामन्दी’ भी इसी विषय पर आधारित है पर कहानी का उद्देश्य अलग है . ‘ब्यूटीपार्लर’ कहानी में एक निर्दोष ड्राइवर सतविन्दर को चार-पाँच ऑस्ट्रेलियन युवक केवल किराया माँगने पर चाकुओं से गोद डालते हैं . ‘सो..कूल’, ‘एस्कार्ट’ और ‘अलविदा’ कहानियाँ समलैंगिक सम्बन्धों, तलाक और स्त्री ही नहीं पैसा कमाने के लिये पुरुषों का भी देहव्यापार में संलिप्त होता बतातीं हैं . छात्र छात्राएं कुछ धनाभाव की बेवशी में तो कुछ मौजमस्ती और शौक पूरे करने के लिये देहव्यापार अपनाते हैं ,यह तथ्य विध्वंसक किन्तु सत्य है , वहीँ  ‘प्रेम या छलावा’ ,’स्टेपिंग स्टोन’ और ‘स्ट्रेंजर’ कहानियाँ प्रलोभन, प्रेम ,छल और रिश्तों में विश्वासघात की कहानियाँ हैं . ‘नम्बर फाइव’ एक साथ एक फ्लैट में रह रहे लड़के लड़कियों की जीवनशैली , दिनचर्या और आपसी स्नेह को रेखांकित करती है . ‘ऐमिली’ एक अंगरेज महिला की दयालुता और भारतप्रेम को दर्शाती है . ‘अनन्तयात्रा’ करोना काल की कहानी है जिसमें एक बुजुर्ग किसी तरह अपने देश में ही आकर शेष जीवन पूरा करना चाहते हैं , उनकी इच्छा पूरी भी होती है . ‘बिना धड़ की भूतनी’ संग्रह की , और संग्रह की एकमात्र भारतीय पृष्ठभूमि की अन्तिम कहानी है जिसमें बलात्कार और फिर हत्या की शिकार एक दलित युवती भूत बनकर लोगों को सताती है यों तो सभी कहानियाँ रोचक हैं पर मुझे ‘गोरी डायन’ , ‘ब्यूटीपार्लर’ , ‘प्रेम या छलावा’ , ‘फेयरवेल’ , ‘स्टैफनी’, ‘स्टेपिंग स्टोन’ ,’आशा की लौ’ आदि कहानियाँ काफी अच्छी लगी . 

जैसा कि रेखा जी ने भूमिका कहा है, संग्रह की लगभग सभी कहानियाँ भारतीयों की परस्पर द्वेष, प्रेम, सन्देह, विश्वासघात और रिश्तों में दरार की कहानियाँ हैं , ऑस्ट्रेलिया के स्थानीय लोगों के जीवन की कोई तस्वीर नही है. केवल दो-तीन कहानियों ( फेयरवेल, अलविदा, स्टेपिंग स्टोन ) में ही ऑस्ट्रेलियन लोगों के जीवन की हल्की सी झलक मिलती है . जिनमें ‘फेयरवेल’ काफी अलग , अच्छी और विस्मित कर देने वाली कहानी है . ‘मल्टीपल सिस्टम एट्रोफी’ से पीड़ित एडवर्ड ‘यूथेनेसिया’ ( इच्छामुत्यु ) के लिये जाने से पहले सबको अलविदा कहने के लिये एक पार्टी आयोजित करता है . अपनों को परेशान करने , उनकी उपेक्षा व घृणा सहने से बेहतर है मृत्यु को स्वीकार कर लेना .लेकिन मृत्यु को इस तरह स्वीकार कर लेना , प्रकृति का नियम तोड़ना भी है . जहाँ रिश्तों में निस्संगता और व्यर्थ पुरानी चीजों की तरह ,निष्क्रिय जीवन को भी व्यर्थ और नकारने का भाव दर्शाता है , वहीं जीवन का एक मात्र सत्य भी कि मोह दुख का मूल है , दुनिया में हर कोई अकेला आता है और अकेला ही जाता है ..कि जीवन एक पड़ाव है ,जीवन की अनन्तयात्रा का और . हालाँकि इच्छा मृत्यु आज भी विवाद का विषय है . 

कहानियों का कथ्य बहुत अच्छा है . भाषा सरल आवरण रहित है .पात्र ,परिवेश अनुसार बोलचाल के अंग्रेजी के छोटे छोटे वाक्य और शब्द स्वाभाविक रूप से बहुलता में आए हैं . पिक करना , एंटीक पीस , नाइट स्टे , फेस टाइम , गिफ्ट ऑफ गैब , माइल्ड मॉडरेट , फ्लैटमैट्स , ऑडिज्म , बिहेवियर प्रॉब्लम्स ..ब्लांड हेयर, करी मंचर ,इंटरेस्टिंग ,नैप , मफिन, स्ट्रिपर, गोल्डस्ट्रीक, चैटर बॉक्स , मिडिल फिंगर , बॉडी हगिंग ड्रैस , सीक्रेट एडमायरर , मेक श्योर , आदि . कहीं कहीं , ”मेरे कपड़े भुट्टे के छिलके की तरह एक एक करके उतारे जाने लगे ….” या , “ ..तुम्हारे फीचर्स इतने शार्प हैं कि किसी का भी दिल काट कर रखदो ..” , जैसे प्रयोग भी भाषा को जानदार बनाते हैं .

कुछ जानकारियाँ भी मिलती हैं जैसे सत्रहवीं शताब्दी में अंग्रेजों ने ‘एबोरीजनल्स’ (ऑस्ट्रेलिया के मूलनिवासी) को गोलियों का निशाना बनाया , उन्हें हर सुविधा से वंचित किया उनकी ज़मीनें छीनलीं पर वे इतने सभ्य हैं कि प्रायश्चित के लिये हर साल ‘सॉरी डे’ भी मनाते हैं, कि उपेक्षा दिखाने भारतीयों को ‘करी-मंचर’ कहा जाता है , कि नामों को शॉर्ट करके बोला जाता है जैसे अपूर्व को ‘ऐप’ , अदिति को ऐड , दिव्या को डीव और कविता को कैव ,अभय को एव्स ..कि यहाँ अपार्टमेंट और फ्लैट को यूनिट व सबर्ब कहा जाता है , देह सम्बन्धों को मामूली बात मानते है , गुस्सा दिखाने मिडिल फिंगर दिखाते हैं ..कि यूनिवर्सिटी के छात्र छात्राएं अपना खर्च चलाने , पैसा कमाने के लिये, घरों की सफाई, होटल में प्लेट उठाना धोना जैसा कोई भी काम कर लेते रहते हैं, यहाँ तक कि सेक्सवर्कर के रूप में भी पैसा कमाकर अपना खर्चा चलाते हैं (एस्कॉर्ट्स कहानी) . कुल मिलाकर सिडनी में रह रहे भारतीयों के जीवन और मानसिकता को सफलता के साथ दर्शाती हैं. सभी कहानियाँ किस्सा कहानी जैसी रोचक हैं और एक बड़ा फलक समेटे हैं. इसलिये छोटे प्रसंगों को सीमित रखा गया है. लेकिन कहानियाँ अपने उद्देश्य को पूरा करती हैं . कुल मिलाकर यह संग्रह पठनीय है . आशा है कि रेखा जी की कलम चलती रहेगी और रचनाएं पढ़ने मिलती रहेंगी .

गिरिजा कुलश्रेष्ठ

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