बाल साहित्य

बाल साहित्य के लिए बाल मनोविज्ञान को समझना और उनके अनुरूप सृजन आवश्यक है। बालबुद्धि किस रूप में आस-पास के परिवेश एवं ज्ञान को तीव्रता से ग्रहण करती है। किसे याद रखती है और किसे जानकर आनंदित होती है, इस गूढ़ तथ्य को गहराई से जान लेना तथा समझना और उस पर विचार करना, किसी भी बाल साहित्यकार के लिए आवश्यक है।

Dec 2, 2024 - 18:30
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बाल साहित्य
children's literature

बाल साहित्य के लिए बाल मनोविज्ञान को समझना और उनके अनुरूप सृजन आवश्यक है। बालबुद्धि किस रूप में आस-पास के परिवेश एवं ज्ञान को तीव्रता से ग्रहण करती है। किसे याद रखती है और किसे जानकर आनंदित होती है, इस गूढ़ तथ्य को गहराई से जान लेना तथा समझना और उस पर विचार करना, किसी भी बाल साहित्यकार के लिए आवश्यक है। यदि बच्चों के लिए कहानी है,तो वह रोचक होना चाहिए, लेख प्रेरक व गीत कविता में फूल,चंदामामा तथा प्रकृति का वर्णन होना चाहिए। यदि उपयुक्त बातों का ध्यान में रखकर साहित्यकार सृजन करे, तो ऐसी गीत,लेख, कविता मील का पत्थर होंगे।

समाज और संस्कृति को दिशा देने लायक भी होंगे। बच्चों के लिए कुछ भी लिखना सरल है। अधिक बौद्धिकता की आवश्यकता नहीं होती है।कुछ बाल साहित्यकार तुकों को ही साहित्य साधना मान लेते हैं।

बाल साहित्य में अधिक बौद्धिकता नहीं होनी चाहिए,जिससे रचना सरस होने की जगह नीरस होने लगे। बाल साहित्य ऐसा हो,जो बच्चों को मनोरंजन के साथ-साथ ज्ञानवर्धक भी करें। कल्पनाएंँ जीवन में उड़ान भरने की प्रेरणा देती है, परंतु वास्तविकताओं में चरितार्थ नहीं करती। कहानियों, कविताओं में नैतिकता होनी चाहिए तथा ऐसा कि जिज्ञासा को बढ़ाए और उसके मनन,चिंतन को बढ़ाए, तथा उसकी उत्सुक्ता को शांत करें। विषय सरल भाषा में होनी चाहिए, जिसे पढ़ भी ले और समझ में भी आ जाए। रचनाओं का जीवन में बहुत संबंध होता है। कई बार ऐसे लेख या रचनाएं जीवन का रुख मोड़ देती हैं। संचार क्रांति सूचना तकनीक लोगों की सोच को बदल दिया है। बच्चे भी इससे अछूते नहीं हैं। सभी प्रकार के तकनीकों ने ज्ञान के भंडार को भर दिया है। छोटे-छोटे बच्चे इस तकनीक को कुशलता से सीख रहे हैं। बड़े भी इसे सीखकर उनका उपयोग कर रहे हैं। इसलिए बाल मनोविज्ञान को ध्यान में रखकर इसका उपयोग करना चाहिए।

बाल साहित्य नैतिकता,संस्कृति का विकास करती है। बच्चों में संज्ञानात्मक कौशलों का विकास करती है। जिस तरह का साहित्य उपलब्ध कराया जाएगा, उसी तरह की संस्कारों वाली पीढ़ी हमें मिलेगी। बाल साहित्य पढ़ने या देखने से उसकी कल्पना शक्ति का विकास होगा। बाल साहित्य बच्चों के चरित्र निर्माण में मुख्य भूमिका निभाती है। बच्चे अपने आस-पास जो देखते हैं,महसूस करते हैं, उसका उसके व्यक्तित्व पर प्रभाव पड़ता है। बाल साहित्य का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है,क्योंकि यह बच्चों को सामाजिक परिवेश से परिचित करवाता है।

बच्चे कविता,कहानियों के द्वारा जल्दी सीखते हैं, इसलिए विद्यालयों में भी कविता, कहानी का उपयोग करना चाहिए। जब भी पुस्तक मेले में जाएँ, बाल साहित्य अवश्य खरीदें, और उन्हें पढ़ने के लिए प्रेरित भी करें। पंचतंत्र कहानियांँ, बालगीत, महाराणा का घोड़ा, झांसी की रानी जैसे कविता बच्चों को पढ़ने के लिए प्रेरित करती है। बाल साहित्यकार के लिए आवश्यक है कि यदि कहानी हो तो रोचक हो, और बच्चों के मानसिक स्तर को ध्यान में रखकर करना चाहिए तभी उनका सर्वांगीण विकास हो पाएगा।

शोभा रानी तिवारी

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