यादों के टुकड़े

थोड़ा आगे बढ़ी तो  शिशिर से पहली मुलाकात का वाक्या सामने आ गया। उन्हें देखकर वायलिन , गिटार तो नहीं बजे थे पर पता नहीं क्यों एक अज़ीब सा एहसास ज़रूर हुआ था।वैसे हमारी प्रेम कहानी में कुछ भी फिल्मी नहीं था। हम दोनों एक ही कॉलेज में थे।

Mar 12, 2024 - 19:53
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यादों के टुकड़े
pieces of memories

आज किताबों की अलमारी की  सफ़ाई कर रही थी। बहुत दिनों बाद  पुरानी डायरी को देखकर होठों पर बरबस मुस्कान तैर गई।पन्ने पलटे तो वो पन्ना खुल गया जब पापा मेरे लिए लहंगा लाए थे। उसका वो गोटा, वो  ज़री हाय रे!!!! आईने के सामने मैं उसे पहनकर बस अपने आप को निहारे जा रही थी।ओह! मेरी प्यारी डायरी तुमने मुझे मेरे सुहाने बचपन में पहुंचा दिया।

थोड़ा आगे बढ़ी तो  शिशिर से पहली मुलाकात का वाक्या सामने आ गया। उन्हें देखकर वायलिन , गिटार तो नहीं बजे थे पर पता नहीं क्यों एक अज़ीब सा एहसास ज़रूर हुआ था।वैसे हमारी प्रेम कहानी में कुछ भी फिल्मी नहीं था। हम दोनों एक ही कॉलेज में थे।  साथ पढ़े,साथ नौकरी की और समय आने पर शादी भी कर ली। 
आज इतने सालों बाद भी उस समय को याद करके गालों पर लालिमा आ गई।

कहते हैं ना वो जिंदगी ही क्या, जिसमें कोई मोड़ ना हो।डायरी ने मुझे मेरे जीवन के सबसे स्याह पेज पर पहुंचा दिया।एक ऐसा मोड़ जिसने मेरे जीवन को देखने का तरीका ही बदल दिया। शिशिर के पिता जी अचानक देहावसान हो गया। सारी रस्मों के बाद , शिशिर ने कहा ,पिता जी की फोटो  बड़ी दीदी से मांग लेना। दीदी यानि मेरी ननद, उनकी बड़ी धाक थी।  मेरे कई बार मांगने पर भी फोटो न मिली।जिस दिन हमें वापस जाना था। उस शिशिर ने पूछा ,–"फोटो ली।"
 मैने उसे बड़ी दीदी के सामने बताया कि मैंने कई बार फोटो मांगी पर दीदी ने अनसुना कर दिया। दीदी ने साफ इंकार कर दिया। ख़ैर फोटो तो मिल गई।लेकिन कमरे में आने पर शिशिर ने मुझे थपड्ड जड़ दिया। मैं अवाक रह गई। उसने मुझसे कहा कि वो मुझसे प्यार करता है इसलिए वो मुझे मार सकता है।

मैंने कहा–"मुझे माफ कर दो शिशिर पर मैं तुमसे ज्यादा प्यार करती हूं।" शिशिर के दोनों गाल लाल थे।
उस दिन के बाद से हम दोनों को कभी इस तरह प्यार व्यक्त  नहीं करना पड़ा। अभी बहुत सारे पन्ने हैं पढ़ने को। आती हूं शिशिर को चाय देनी है।

श्रीमती अभिरुचि उपाध्याय

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