Louise Elisabeth Glück : लुईस ग्लिक - 2020 में  साहित्य का नोबेल पुरस्कार विजेता 

त्मकथात्मक तत्वों की  भूमिका  रही है। उनकी  कविताओं में शोर नहीं  बल्कि आंतरिक अलाप है। वह चरम परिवर्तन और पुनर्जन्म  की कवयित्री  मानी जाती है।" लुईस ग्लिक की प्रशंसा करते हुए नोबेल पुरस्कार कमिटी के अध्यक्ष एंड्रेस ऑलसन ने कहा कि उनके पास  बातों को कहने का स्पष्टवादी और समझौता ना करने वाला अंदाज है जो उनकी रचनाओं को बेहतरीन  बनाता है। 

Nov 19, 2023 - 16:53
Nov 19, 2023 - 19:55
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Louise Elisabeth Glück : लुईस ग्लिक - 2020 में  साहित्य का नोबेल पुरस्कार विजेता 
Louise Gluck: Nobel Laureate in Literature in 2020

Louise Elisabeth Glück: सुप्रसिद्ध कवि और समालोचक  विश्वनाथ  प्रसाद तिवारी ने ओम निश्चल द्वारा  लिए गए साक्षात्कार में  कहा - " मैं  यह मानता हूँ  कि रचना  एक विवशता  में  पैदा  होती है। विवशता यह कि जब कुछ भी आपको मुक्त नहीं  कर पा  रहा है तो आपकी रचना आपको  मुक्त  करती है। " अक्षरशः यह बात अमेरिकी  कवयित्री लुईस ग्लिक के बारे में  कही जा सकती है।बचपन और किशोरावस्था  से  ही  गंभीर  संकटों  को झेल रही लुईस ग्लिक की जब बड़ी  बहन और फिर  पिता  की  असामयिक  मौत हो गयी तो वह अंदर  से टूट  गयी।इसप्रकार   उनके  भीतर की  गहरी पीड़ा कविता  के रूप में  ढ़लकर  निखार  पाई। वैसे  तो  वह बचपन से ही  कविता का सृजन  करने  लगी थी  ।  यह सौ फीसदी सच है और  जैसा कि उसी साक्षात्कार में  विश्वासनाथ प्रसाद तिवारी ने  स्वीकार किया - " बाहर का संसार  जब  भीतर की  विवशता  बन  जाता  है  तो  रचनाकार  के  लिए बिना  लिखे उससे  मुक्ति  नहीं  मिलती है और  इस तरह अच्छी  रचना  जन्म  लेती  है। " लुईस ग्लिक  के साथ भी ऐसा ही हुआ।साहित्य के लिए 
  2020  का नोबेल पुरस्कार लुईस ग्लिक  को दिया गया है। वस इस पुरस्कार को  पाने  वाली पहली अमेरिकी और विश्व की 16 वीं  महिला  है। 

स्वीडिस एकेडेमी ने पुरस्कार  की घोषणा करते हुए  कहा कि  लुईस को उनकी  बेमिसाल  काव्यात्मक आवाज के लिए  यह सम्मान दिया गया है जो खूबसूरती के साथ व्यक्तिगत अस्तित्व को  सार्वभौमिक  बनाता है। एकेडेमी ने कहा कि उनकी  कविताएं प्रायः बाल्यावस्था, पारिवारिक जीवन, माता- पिता और भाई- बहनों के  साथ  घनिष्ठ संबंधों  पर केन्द्रित  रही है।  लुईस ग्लिक को इस पुरस्कार मिलने से  संसार की नारियों का मस्तक ऊँचा  हुआ है। 

उनकी  कविताएं प्रकृति के  प्रति  प्रेम, मानवीय  दर्द, अवसाद, हताशा, मौत ,बचपन और  परिवार की  पृष्ठभूमि और उनकी जटिलताओं को  अभिव्यक्त करती हैं। उनकी कविताएं दु:ख और अकेलेपन के भावों को  मार्मिकता के साथ बयाँ  करती हैं।उनकी  कविताओं में  जीवन के  गहरे अनुभव  समाहित हैं।वे सादगी  भरी कविताओं के लिए  जानी जाती हैं।  

एक समालोचक  ने लिखा है - "उनकी  कविताएं आघात  केन्द्रित हैं, क्योंकि  उन्होंने जीवन भर  मृत्यु , क्षति,  अस्वीकार और विफलताओं  पर लिखी है।  वे आघात को जीवन  का द्वार कहती हैं।   उनकी  कविताओं  में  मनुष्य की  कई  तरह की इच्छाओं की गहराई से  अभिव्यक्ति हुई है।" उनकी  कविताएं  संसार  की अनेक भाषाओं में  अनुदित  हुई हैं, जैसे  फ्रेंच, जर्मन, स्पैनिश, इतालवी, जापानी, पुर्तगाली  हिन्दी  इत्यादि।  एक  प्रसिद्ध लेखक  ने लिखा है- "उनकी  कविताओं में  मिथकों और शासकीय  रूपांकन  परिलक्षित  होती हैं।

बदलती परिस्थितियों  को  स्वीकारने  का भाव उनकी  कविताओं में  निहित है। उनकी कविताओं में  सच्चाई के प्रति  विशिष्ट आग्रह और जुनून  है। उनकी  कविताओं में  आत्मकथात्मक तत्वों की  भूमिका  रही है। उनकी  कविताओं में शोर नहीं  बल्कि आंतरिक अलाप है। वह चरम परिवर्तन और पुनर्जन्म  की कवयित्री  मानी जाती है।" लुईस ग्लिक की प्रशंसा करते हुए नोबेल पुरस्कार कमिटी के अध्यक्ष एंड्रेस ऑलसन ने कहा कि उनके पास  बातों को कहने का स्पष्टवादी और समझौता ना करने वाला अंदाज है जो उनकी रचनाओं को बेहतरीन  बनाता है। 

लुईस ग्लिक का जन्म 22 अप्रैल 1943 को संयुक्त राज्य अमेरिका में न्यूयॉर्क में हुआ। 1967  में  उनका विवाह चार्ल्स  हर्त्ज से  हुआ। पर शीघ्र ही तलाक हो गया। 1977 में ग्लिक ने लेखक  मित्र जाॅन द्रानोव से दूसरी  शादी कर ली ।  इतनी  परेशानियों के बावजूद येल युनिवर्सिटी  में अंग्रेजी की प्रोफेसर बनी । कविता का अध्यापन  उनका विषय  रहा ।उनकी  पहली  रचना 
 ' फर्स्टबाॅर्न ' प्रसिद्ध  हुई। लुईस की कविताओं के 12 संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं।

डिसेंडिंग फिगर, द ट्रंप ऑफ एकिलेस, द हाउस ऑफ मार्शलैण्ड, एवर्नो उनकी ख्यातिप्राप्त पुस्तकें हैं। "वाइल्ड आईरिस " (1992 ईस्वी  में  प्रकाशित) में बगीचों  के फूलों  को केन्द्र में रखकर  जीवन की प्रकृति के  बारे में एक माली और देवता के साथ  बातचीत का वर्णन है। इसपर उन्हें  पुलित्जर पुरस्कार  भी  मिला।' विटा नोवा ',' द सेवेन एजेज ' कृतियाँ  भी  प्रसिद्ध  हुई।एनिवर्सरी,द एग ,द  मैगी, मिड समर,मदर एण्ड चाइल्ड , एंड ऑफ विंटर , अनट्रस्टवर्दी स्पीकर,विजिटर फ्राॅम अब्राड , इत्यादि उनकी प्रसिद्ध कविताएं हैं। पहली कविता संग्रह पर ही  उन्हें अमेरिकी काव्य अकादमी का पुरस्कार मिला। उन्हें अन्य कई प्रतिष्ठित पुरस्कार  मिले हैं। लुईस ने कई निबंध  भी  लिखे हैं। 
लुईस ग्लिक की कविता Drowned children ( बच्चे जो डूब गए) का अरुण चन्द्र राय द्वारा हिन्दी अनुवाद किया गया है,

उनकी ये पंक्तियां देखिए
" बर्फ से  भरे तालाब में 
धीरे-धीरे  डूबते हुए उन्हें  सुनाई देती है 
माता- पिता की आद्र पुकार -
क्या कर रहे हो वहाँ,  किसका इंतजार कर रहे हो 
आ जाओ घर, घर आ जाओ,  लौट आओ "
और वे धीर-धीरे  डूब  जाते हैं गहरे नीले पानी में हमेशा के लिए। 
इन पंक्तियों में  करूणा, ममत्व और वात्सल्य के साथ-  साथ हृदय विदारक मृत्यु  का चित्रण  उत्कृष्ट है। 
श्री  विलास सिंह  द्वारा अनुदित 
'अंतिम  परिदृश्य ' कविता  की इन पंक्तियों को पढ़िए -
" कब्रिस्तान  मौन था।बह रही थी  हवा  पेड़ों  से  होते हुई,
मैं सुन सकती थी,रूदन का स्वर कुछ दूरी  पर,
और उसके  परे विलाप कर रहा था  एक श्वान "
- इन पंक्तियों में  मृत्यु की वेदना का हृदयविदारक  चित्रण किया गया है। 
ओम निश्चल द्वारा अनुदित 'October ' कविता की इन पंक्तियों को पढ़िए-
" वापस बगीचे नहीं  लगाए गए
मुझे  याद है कि पृथ्वी  कैसे  लगी, लाल और घनी
कड़ी  पंक्तियों में,  बीज नहीं  बोए गए  थे 
लताएं  दक्षिणी  द्वार  पर  चढ़ी नहीं 
मैं  आपकी आवाज  नहीं  सुन सका
क्योंकि हवा  रो रही थी, खाली  मैदान में  सीटी बजाते हुए। "
लुईस ग्लिक की कीर्ति कस्तूरी की गंध  की तरह अनवरत  फैल रही है और  विश्व के  साहित्य को अभी  और बहुत कुछ  उनसे  मिलना शेष है। 

 अरुण कुमार यादव

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