प्रयागराज और कुंभ
प्रत्येक 12 वर्ष पश्चात एक निश्चित स्थान पर कुंभ मेला का आयोजन किया जाता है।अर्ध कुंभ मेला(आधा कुंभ)प्रयागराज और हरिद्वार में दो पूर्ण कुंभ मेलों के बीच लगभग हर 6 साल मे होता है।महाकुंभ जो हर पूर्ण कुंभ मेलों के बाद यानि हर 144 वर्ष बाद होता या मनाया जाता है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन के उपरांत भगवान विष्णु जी समुद्र से निकला अमृत से भरा कुंभ(बर्तन) लेकर देवताओं के पास जा रहे थे कि असुरों ने जो समुद्र मंथन में शामिल थे इसका विरोध किया और इसके कारण छीना झपटी मे अमृत की चार बूंदें प्रयाग,हरिद्वार, नासिक और उज्जैन नगरों में गिर गई जिन्हें तीर्थस्थान माना जाना लगा। प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का अद्भुत मिलन या संगम होता है, अतः इसे तीर्थराज प्रयाग कहा जाता है।
कुंभ और महाकुंभ मे क्या अंतर है?
प्रत्येक 12 वर्ष पश्चात एक निश्चित स्थान पर कुंभ मेला का आयोजन किया जाता है।अर्ध कुंभ मेला(आधा कुंभ)प्रयागराज और हरिद्वार में दो पूर्ण कुंभ मेलों के बीच लगभग हर
6 साल मे होता है।महाकुंभ जो हर पूर्ण कुंभ मेलों के बाद यानि हर 144 वर्ष बाद होता या मनाया जाता है।
यह विश्व में तीर्थयात्रियों का सबसे बड़ा शांतिपूर्ण समागम है जिसके दौरान प्रतिभागी पवित्र नदी में स्नान करते हैं या डुबकी लगाते हैं।भक्तों का मानना है कि गंगा में स्नान करने से व्यक्ति के पाप धुल जाते हैं और वह पापमुक्त होकर जन्म मृत्यु के चक्र से मुक्ती पाकर मोक्ष प्राप्त कर लेता है।
महत्वपूर्ण अनुष्ठान
शाही स्नान कुंभ मेले का प्रमुख आकर्षण है और उत्सव का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है।शाही स्नान के बाद ही लोगों को पवित्र स्नान करने की अनुमति दी जाती है इस विश्वास के साथ कि लोगों को विभिन्न अखाड़ों के पवित्र संतो/ नागाओं के पवित्र कर्मो और विचारों के सार का अतिरिक्त लाभ व आशिर्वाद मिलेगा क्योंकि वे उनके बाद स्नान करेंगे।
स्नान के पूर्व नागा साधु व अखाड़े के साधु हाथी,घोड़े, ऊंट आदि पैदल अपने लोगों के साथ अपने झंडे लेकर गाते-बजाते, करतब दिखाते आते हैं और पवित्र संगम में डुबकी लगाते हैं
महाकुंभ अबकी यानी वर्ष 2025 में 13-14 जनवरी मकर संक्रांति से शुरू होगा।
यह मेला पौष और माघ मे महाशिवरात्रि तक यानि 25 अप्रैल तक चलेगा।मेला का विशेष स्नान मौनी अमावस्या 29 जनवरी 25, बसन्त पंचमी 3 फरवरी 25,माघी पूर्णिमा 12 फरवरी 25 और महाशिवरात्रि 26 फरवरी 25होगा।ये तारीखें संभावित हैं और स्थानीय पंचाग के अनुसार इसमें थोड़ा बहुत हेरफेर या बदलाव हो सकता है।महाकुंभ के दौरान शाही स्नान बहुत महत्वपूर्ण होते हैं और लाखों श्रद्धालु इन पावन तिथियों में गंगा नदी और संगम मे नहाने के लिए दूर दूर से आस्था के साथ आते हैं।अबकी बार लगभग 40 करोड़ यात्रियों की आने की संभावना जताई जा रही है।
जी टी रोड ( ग्रैंड ट्रंक रोड ) गंगा के उपर से गुजरती है। एक तरफ शहर तो दूसरी तरफ झूंसी, अरैल तक मेला लगता है
१-सदियों पुराना विश्व का प्रचीनतम मेला
२-लोग एक माह तक टेंटों, अस्थायी झोपड़ी में रहकर कल्पवास करते हैं।प्रातःकाल का स्नान करके दिन भर धार्मिक अनुष्ठानों एवं संध्या मे आरती और कीर्तन आदि अन्य कार्यक्रम जो अखाड़ों द्वारा प्रायोजित कि जाती है उसमें भाग लेते हैं।
३-यहाँ गंगा पर कोई पक्का घाट नही है क्योंकि गंगा नदी अपना स्थान बदलती रहती है।गंगा का मटमैला सफेद जल,यमुना का हरा जल और विलुप्त हुई सरस्वती त्रिवेणी संगम का निर्माण करती है।
४-कई महीने पहले से ही इस योजना की तैयारी की जाती है।अस्थायी पुलों का निर्माण, अखाडों एवं टेंटों का स्थापना योजनाबद्ध तरीके से निश्चित आवंटित स्थान पर किया जाता है।अब तो आधुनिक टैंट भी लगने लगे हैं जो एक होटल के कमरे जैसे सुविधाओं से युक्त होते हैं।
५-यात्रियों के सुविधा के लिए चप्पू से चलने वाले नाव के अतिरिक्त मोटर बोट की भी व्यवस्था रहती है।अब यात्रियों को सैर कराने के लिए आधुनिक सुविधाओं से परिपूर्ण नाव कि भी व्यवस्था की जा रही है। नदी में भी पुलिसकर्मियों की तैनाती की जाती है ताकि लोगों की सहायता हो सके।
६-जगह जगह पुलिस और होमगार्ड होते हैं ताकि लोग ठीक से निर्धारित रुट पर चलेंऔर भगदड़ आदि न हो।लाउडस्पीकर के माध्यम से यात्रियों को निर्देशित किया जाता रहता है।भीड़भाड़ मे खोये व्यक्तियों के सहायता के लिए कैम्प लगाया जाता है ताकि लोग वहाँ आकर अपने प्रियजनों को ले जा सके।
७-बमरौली हवाई अड्डा/रेलवे का इलाहाबाद जंकशन, रामबाग छोटी लाइन का स्टेशन, प्रयाग जंक्शन और दारागंज स्टेशनो पर नियमित ट्रेनो के अलावा अतिरिक्त ट्रेनो की व्यवस्था की जाती है।
सडक़ मार्ग से आने वाले यात्रियों के लिए जगह जगह से बसों की भी व्यवस्था की जा रही है।
८- इस समय प्रयागराज नगरी सजधज करके अपने आने वाले तीर्थयात्रीयों के स्वागत के लिए आतुर है।जगह जगह अस्थायी पुल,विश्राम गृह,पुलिस चौकी और स्काउट आदि स्वयं सेवी संस्थाओं की भी व्यवस्था यात्रियों के सहायता हेतु की जा रही है।
कुम्भ मेला में दुर्घटना
करीब 70 साल पहले प्रयाग महाकुंभ मेले में 3 फरवरी 1954 को मौनी अमावस्या के पर्व पर नहान के समय भगदड़ मच जाने के कारण लगभग 800 श्रद्धालुओं लोगों की मृत्यु हो गई और करीब 2000 लोग गंभीर रूप से घायल हुये थे।
इसी तरह 2013 के कुम्भ मेले के मौनी अमावस्या के दिन जो 10 फरवरी रविवार को श्रद्धालु स्नान दान करने के पश्चात जाने के लिए इलाहाबाद रेलवे स्टेशन जंक्शन व बस अड्डों पर पहुंच रहे थे।इलाहाबाद जंक्शन पर यात्रियों की भारी संख्या से सभी प्लेटफार्म ठसाठस भरे हुए थे।ओवर ब्रिजों पर भी भारी भीड़ थी।उस दिन शाम के समय लगभग 7 बजे प्लेटफार्म 6 के ओर जाने वाली फुट ओवरब्रिज की सीढियों पर अचानक भगदड़ मच गई।धक्का मुक्की मे कई लोग ओवरब्रिज से नीचे गिर गए जबकि कुछ लोगों को भीड़ ने कुचल दिया।कुचलने और गिरने से सरकारी आंकड़ों के अनुसार 35 लोगों की मृत्यु हुई और दर्जनों श्रद्धालु घायल हुए जिनका इलाज स्थानीय अस्पतालों मे हुआ था।
प्रयागराज मे श्रद्धालुओं के लिए स्नान के
पश्चात दर्शनीय धर्म स्थान
किला और अक्षयवटः
पूर्वी भारत में अफगान विद्रोह को नियंत्रित करने के लिए मुगल सम्राट अकबर ने अपने शासन काल में सन 1575 मे प्रयागराज के संगम किनारे एक भव्य किले का निर्माण कराया था जो लगभग 30000 वर्ग फुट मे फैला है।वर्तमान मे इस किले का कुछ ही भाग सैलानियों के लिए खुला रहता है शेष हिस्से का उपयोग भारतीय सेना करती है।सैलानियों को अशोक स्तंभ, सरस्वती कूप,जोधाबाई महल और पाताल लोक का अक्षयवट देखने की इजाजत है।प्राचीन बरगद का पेड़ लगभग 300 वर्ष पुराना है।यह उत्तर प्रदेश सरकार के विरासत सूची में शामिल है।इस वृक्ष का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व भी है जिसमें लोगों की आस्था और मान्यता भी जुड़ी है।
बांध वाले लेटे हुए हनुमानजी
प्रयागराज संगम तट के किनारे किले के पास धरातल मे 6-7 फुट नीचे दक्षिणभिमुखी और 20 फीट लंबी लेटे हुए हनुमानजी की प्रतिमा स्थापित है।बजरंगबली यहाँ आने वाले सभी भक्तों की मनोकामना पूर्ण करते हैं।जनश्रुति है कि लंका जीतने के पश्चात अयोध्या लौटते समय इस स्थान पर हनुमानजी को थकान महसूस होने लगी तो माता सीता की आज्ञा पाकर वह वहाँ विश्राम के लिए लेट गए।इसी को ध्यान में रखते हुए कालांतर में इस मंदिर का निर्माण हुआ।
मनकामेश्वर मंदिर
प्रयागराज मे यमुना नदी के किनारे किले के बगल में मनकामेश्वर मंदिर स्थित है जहाँ भगवान शिव अपने अनेकों रुपों मे विद्दमान हैं।इस मंदिर का पुराणों में भी उल्लेख है।त्रेतायुग में भगवान राम ने माँ सीता और लखनलाल के साथ यहाँ शिव जी का पूजन और जलाभिषेक कर मार्ग में आने वाले तमाम बाधाओं को दूर करने की कामना की थी।वैसे तो यहाँ सालभर लोग दर्शन को आते हैं परन्तु सावन मास में श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ती है।
अलोपी माई का मंदिर
यह अनोखा मंदिर है जहाँ कोई मूर्ति नही है बल्कि एक लकड़ी की डोली है जिसकी पूजा की जाती है।मान्यता है कि अपनी पत्नी सती की मृत्यु के पश्चात दुखी शिव ने उनके मृत शरीर के साथ आकाश से यात्रा की।उन्हें इस पीड़ा से राहत देने के लिए भगवान विष्णु ने चक्र फेंका जिसके कारण देवी के शरीर के टुकड़े भारत के विभिन्न हिस्सों में गिरे जो तीर्थस्थान कहलाये।अंतिम भाग इस स्थान पर गिरा इसे 'अलोपी' रखा गया(जहाँ गायब होना समपन्न हुआ)
कल्याणी देवी अतरसुइया मंदिर
कल्या एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है जो हनुमान निकेतन मंदिर के नाम से जाना जाता है जहाँ हनुमानजी की भव्य प्रतिमा स्थापित है जो अपने अध्यात्मिक वातावरण के लिए प्रसिद्ध है।
त्रेतायुग मे महर्षि याज्ञवल्क्य ने इसी स्थल पर साधना की थी।उन्होंने 32 अंगुल की माँ कल्याणी की प्रतिमा स्थापित किया।मां कल्याणी के पास शिव-पार्वती माँ छिन्नमस्तिका विराजमान हैं जहाँ सालभर श्रद्धालु भक्त अपने मनोकामना पूर्ण कराने की आशा मे आते रहते हैं।
सिविल लाइंस वाले बड़े हनुमानजी
इलाहाबाद या प्रयागराज के अन्य प्रसिद्ध दर्शनीय स्थान
यदि तीर्थ के बाद लोगों के पास समय हो तो इन्हें अवश्य देखें।
ऐतिहासिक खुशरो बाग,कम्पनी बाग,इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद हाईकोर्ट, भरद्वाज आश्रम, स्वराज भवन-आनंद भवन,शिवकुटी आदि।
प्रयागराज के पास ही मिर्जापुर जिले में माँ विंध्यवासिनी का प्रसिद्ध मंदिर और वाराणसी या काशी भगवान भोलेनाथ शंकर के त्रिशूल पर बसी प्राचीन नगरी है जहाँ से लोगों को मृत्यु के पश्चात मोक्ष प्राप्त होता है ऐसी मान्यता है।सारनाथ बौधधर्म भ भी पर्यटकों के लिए उच्चित भ्रमण स्थान हैं।
सबका कल्याण हो।जै माँ गंगा जै तीर्थराज प्रयाग की।महाकुंभ पर्व पर आने वाले सभी तीर्थयात्रियों का प्रयागराज सज धज और संवर कर स्वागत हेतु तैयार है।
इन्जी. सुभाष चन्द्रा
प्रयागराज -लखनऊ
पत्र व्यवहार पता -
Er. Subhash Chandra
Villa no.10,Rishita Mulberry,GH-3, Sector-C,Pocket-7
Sushant Golf City
Sultanpur Road
Beside Centrum hotel
Lucknow-226030
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