अनमोल रिश्ते
नानू भी बच्चों के साथ बच्चा बन जाते हैं। कैसी भी शरारत करो ,डांट पड़ती ही नही है। नानू के साथ खेत खलिहान, मेला बाजार और बगीचों में जाना ,पेड़ों से फल तोड़ना, पेड़ पर चढ़ना परमानंद होता है। जो बचपन ऐसे संरक्षण में बितता है वो युवावस्था में कभी अवसाद में नहीं घिरता है। संस्कृति, संस्कार,धर्म, रीति रिवाज,कथा -कहानियाॅं, मातृभाषा का ज्ञान, मुहावरे और कहावतें वो बखूबी जानता है। भजनों पर नाचना और कीर्तन में मंजीरे बजाने का आनंद बस इनके साथ ही आता है।

यह कथन एकदम सही है कि मूल से ज्यादा ब्याज
इस अनमोल रिश्ते में अब सबसे मधुरतम रिश्ते की बात करें तो वह है बच्चो का नाना/नानी के साथ का सबसे प्रगाढ़ संबंध। ननिहाल हर बच्चे के
लिए एक ऐसा राज्य है जिसका वह एकछत्र राजा होता है। उसके मुॅंह से निकली हर बात तुरंत पूरी होती है। ननिहाल में हर सदस्य उसके लिए हर इच्छा पूरी करने के लिए तत्पर रहता है। नानी तो ऐसा जादू का चिराग है जिसे रगड़ने की भी जरूरत नहीं है। बस नानी की ऑंखें उसकी मौन भाषा समझती है और मन की बात पूरी हो जाती है। रात को नानी के बिस्तर पर, उसके पेट पर पैर रखकर लेटना और कहानियाॅं सुनना तो बच्चों का
जन्मसिद्ध अधिकार है। बूढ़ी नानी अनुभवों का पिटारा , मिठाईयों की दुकान और खाने का खजाना है। उनका संदूक जब खुलता है तो बच्चों को कारू का खजाना मिल जाता है। नानी जैसा मीठा पेढ़ा और उसकी कहानियाॅं रसमलाई सी होती हैं।
दादा/दादी,नाना/नानी का बच्चों से जो रिश्ता होता है वो सबसे पवित्र और अनमोल होता है। वे बच्चे खुशनसीब होते हैं जो इनकी छत्रछाया में बढ़ते हैं। दूसरी और जो बुजुर्ग नौनिहालों के संग रहते हैं वो भी अपने आप को धन्य समझते हैं।
यह अनमोल रिश्ता सदा फलता फूलता रहे तो अनेक समस्याएं जड़ से खत्म हो जाएंगी।
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