कविता

दस्तक

चलो झंझोड़ के जगा दें सोये शहर को

दिल के तख्त

नाज है तुझ पर ए निंदा करने वाले..  तेरी निंदा की गिनती में अहसानो में रखती हूं। 

मातृशक्ति

तृशक्ति के ज्योत पुंज को। प्रेम भाव वंदन करना है।

Hindi Poetry | आदमी को देता पहचान

आदमी को देता पहचान हृदय जिस पर लुटाता प्राण इसके बिन बदल जाता वेश का सखि साजन...

Hindi Poetry | मैं कौन हूं?

जन्म से मृत्यु तक आशाओं को ढोता,  पूर्वनिश्चित रास्तों पर बेहोशी में लुढ़कता

Hindi Poetry | पेड़ प्रतिष्ठा

इसमें भी है जीव, जीव को व्यथा न बांटो । पूज्यनीय हैं पेड़, पेड़ को कभी न काटो ।।

Hindi Poetry | हद

पौधों पत्तो फूलों को लगाया था मैंने आंगन बगिया को सजाया था मैंने

Hindi Poetry | बेटा हुआ पराया

ऊँगली थाम जिसे दुनियां की सरपट सैर कराया  वृद्धाश्रम की भेंट चढ़े हम, बेटा हुआ प...

Hindi Poetry | धरती की पुकार

मैं धरती माँ हूँ, ईश्वर की अनमोल रचना, प्राकृतिक-संसाधनों से परिपूर्ण चिर-यौवना,

Hindi Poetry | माटी

गणेश जन्में नहीं। पारवता ने मिट्टी से बनाया है इन्हें मिट्टी में प्राण लख।

Hindi Poetry | क्या से क्या बन गए आप

शांति और सकून  ममता और अपनत्व क्या क्या समझा था  क्या से क्या बन गए आप ।

Hindi Poetry | सूरज ने है ज़िद ठानी

लगता है सूरज ने है ज़िद ठानी, आना है मुझको धरती पर, पीना है मुझको पानी।

Hindi Poetry | मैं डरती हूँ

मैं डरती हूँ  अपनी उधेड़बुन मंहगी डायरियों में दर्ज करने से  किसी भरोसे को तोड़न...

Hindi Poetry | Woman Freedom | किस बात की अबला है तूं

किस बात की अबला है तूं हौंसले प्रतन्च चढ़ा बौद्धिक ढंकार भर

Hindi Poerty | Woman Story | Poetry on Woman | हर मां क...

ये कहानी जुबानी माँ के कष्ट को कहती हैं जो रुलाता है माँ को हर उस शस्क को कहती ...

होती रही रात-भर रिमझिम

असह्य इंतजार के बाद मेघ जब बरसे