कविता

भारत

भारत में विविधता संग है, भारत है निर्मल न्यारा। बिखरी पर्वों की उमंग यहां भार...

एक गीतिका

बाण शब्दों के नुकीले हो गए। कोर नैनों के पनीले हो गए।  चोट अपनों से लगी तो य...

सितारों से आगे...

मुख़्तसर सी ज़िंदगीr है  और बातें हजार  चलो, कुछ बात करते हैं  इस बात के आगे....

धम्म मार्ग

खुद के दीपक खुद बन जाएं, मन के अंधियारों को मिटाए, विश्व-शांति और प्रेम के, आ...

निर्बलों का बल

हे! भगवान  तु निर्बलों का है बल और है तु गंगा का जल  तु है किसानों का हल  और...

मन

न चंचल है, मन निर्मल है  मन भ्रष्ट दिशा में जाता है।  मन का स्वभाव, अति वेगवान...

तुम मरो !

फिर सोचती हूं गुस्से में बोला होगा,   गुस्से     में बोला होगा शायद!   नहीं-नह...

पास बैठो

बैठो न पास जरा-सी देर  कि देख पाऊं तुम्हारी  आंखों में अपनी परछाईं।

हाइकु

सिर पर धर धूप की गठरिया- सूरज चला। फुनगियों से  उतरी धरा पर- धूप चिड़ैया। ...

पूर्णिका

आंधी से तूफानों से, ये मजदूर लड़ता है जलता है धूप में वो, तब चूल्हा जलता है ग...

गीतों में मेरे तुम आना...

बुद्धि कलम दावात लिए  कोरे पन्नों को हाथ लिए  वाणी भावों का विमल विम्ब  साहित...

मासिक धर्म

उम्र के पड़ाव तेरहवें में,शुरू होता है, एक दौर नया। एक छोटी-सी गुड़िया, बिटिया रान...

श्रम का प्रतिदान

हो गया संतुष्ट  अपने हुनर का  बस ले दाम। नहीं, कभी नहीं  अपने सृजन पर  किया...

ज़िन्दगी

शामो सहर ख्वाब नये दिखला रही है जिंदगी। बस गुजरती बस गुजरती जा रही है जिंदगी।। ...

सपनों के बीच महीन दीवार

बहुत पुरानी बात है तब की मैं अपने सपने को लगभग विस्मृत कर चुका हूं..! किंतु उस...

प्यार

मोती बनकर `शबनम' आयी, `रजनी' के सूनेपन में। जब `किरनों' तक पहुंच सकी तो, उलझे...