कविता

कान्हा की मुरली

इक दिन इक मुरली वाला मुरली बेचन गोकुल आया मुरली की मीठी धुन सुनकर कान्हा का ज...

धुंआ धुंआ

धुंआ धुंआ जंगल जंगल, धुंआ धुंआ धरती अम्बर,

मानसून आया...

मानसून आया  धरा हर्षाई पेड़ों ने श्रृंगार पाया पहाड़ों पर रंगत छाई ।

सावन तीज पर कह मुकरियां

जब देखो तब पीछा करता शक्ल सांवली मुझपर मरता। प्रेम सुधा बरसाता पागल, का सखि स...

दस्तक

चलो झंझोड़ के जगा दें सोये शहर को

दिल के तख्त

नाज है तुझ पर ए निंदा करने वाले..  तेरी निंदा की गिनती में अहसानो में रखती हूं। 

मातृशक्ति

तृशक्ति के ज्योत पुंज को। प्रेम भाव वंदन करना है।

Hindi Poetry | आदमी को देता पहचान

आदमी को देता पहचान हृदय जिस पर लुटाता प्राण इसके बिन बदल जाता वेश का सखि साजन...

Hindi Poetry | मैं कौन हूं?

जन्म से मृत्यु तक आशाओं को ढोता,  पूर्वनिश्चित रास्तों पर बेहोशी में लुढ़कता

Hindi Poetry | पेड़ प्रतिष्ठा

इसमें भी है जीव, जीव को व्यथा न बांटो । पूज्यनीय हैं पेड़, पेड़ को कभी न काटो ।।

Hindi Poetry | हद

पौधों पत्तो फूलों को लगाया था मैंने आंगन बगिया को सजाया था मैंने

Hindi Poetry | बेटा हुआ पराया

ऊँगली थाम जिसे दुनियां की सरपट सैर कराया  वृद्धाश्रम की भेंट चढ़े हम, बेटा हुआ प...

Hindi Poetry | धरती की पुकार

मैं धरती माँ हूँ, ईश्वर की अनमोल रचना, प्राकृतिक-संसाधनों से परिपूर्ण चिर-यौवना,

Hindi Poetry | माटी

गणेश जन्में नहीं। पारवता ने मिट्टी से बनाया है इन्हें मिट्टी में प्राण लख।

Hindi Poetry | क्या से क्या बन गए आप

शांति और सकून  ममता और अपनत्व क्या क्या समझा था  क्या से क्या बन गए आप ।

Hindi Poetry | सूरज ने है ज़िद ठानी

लगता है सूरज ने है ज़िद ठानी, आना है मुझको धरती पर, पीना है मुझको पानी।