Tag: poem

पर्यावरण

लाल गुलाबी श्वेत बैंगनी फूलों से भर दो।  पर्यावरण रक्षा में प्रकृति हरी भरी कर ...

गीत जाने कौन गा रहा है?

कल्पना के नक्षत्र से अंबर के प्रतिमान पर द्विदिप्त कोई तारा उत्सव आज मना रहा है...

प्रतिशोध बाकी है

अभी तो सिर्फ झांकी है, बड़ा प्रतिशोध बाकी है। नहीं है जिन में मानवता, दिखा द...

मैं

मैं भरी रही  मैं से  प्रेम आया तो  निकल गया छूकर  प्रेम और मैं की  कतई नह...

मैं बस तुझको गाता हूँ!!!

कोई मंदिर का दर गाता कोई मस्जिद गाता है कोई गाता है गिरिजाघर कोई गुरुघर गाता ...

आज कल की दोस्ती

आज कल की दोस्ती, सब कुछ बदल गया डिजिटल दुनिया में यारों का तो खूब प्यार पाया

हाइकु

टूट रहा था घर और मकान माँ के मरते 

ज़मीर मरा हुआ

जिनका मर जाता है ज़मीर, वे लफ्जों को अल्फाज नहीं बना सकते, आमिर का अलम बन जाती ...

बदल गए औजार

आरी काटती है लकड़ी वसूला देता है आकार रन्दा छीलता है चिकना करता है छेनी त...

ग़ज़ल

भारत

भारत में विविधता संग है, भारत है निर्मल न्यारा। बिखरी पर्वों की उमंग यहां भार...

एक गीतिका

बाण शब्दों के नुकीले हो गए। कोर नैनों के पनीले हो गए।  चोट अपनों से लगी तो य...

सितारों से आगे...

मुख़्तसर सी ज़िंदगीr है  और बातें हजार  चलो, कुछ बात करते हैं  इस बात के आगे....

निर्बलों का बल

हे! भगवान  तु निर्बलों का है बल और है तु गंगा का जल  तु है किसानों का हल  और...

तुम मरो !

फिर सोचती हूं गुस्से में बोला होगा,   गुस्से     में बोला होगा शायद!   नहीं-नह...

गज़ल 

हवाओं के रुख की फ़िक्र  परिंदे कहां किया करते हैं। अरमानों की उड़ान बेख़ौफ़  प...