कविता

ज़िंदगी

ज़िंदगी किसी ने तुझे सफ़र जाना कोई तलाश में तेरी निकले और खुद मुसाफ़िर हो गए

बसंत उत्सव

इसी दिन कामदेव को मिली थी श्राप से मुक्ति मिली थी। भगवान शिव ने क्रोध में आकर का...

गजल

जमाने का चलन कैसा आया है साहिबो । कोई खा रहा कोई है भुक्खा गजल कह रहा हूं ।।

पर्यावरण

फाड़ के छाती इस धरती में, जहर बहुत सा भर डाला।।

पिता जी की याद

हमें भी मिल जाता पिता जी का प्यार, तरसती हैं आज भी आंखें,

सूखे गुलाब

उसने अपनी डायरी खोली—एक खाली पन्ने पर उसने लिखा: "तुम्हारे बिना, मेरा शरीर सिर्फ...

बसंत

भंवरो के  गुंजन की ध्वनि संग  रुचिर पवन  मंडरायी

वसंत 

शीतल मलय पवन अतिपावन, आम्र कुंज मंजरी मनभावन

रक्त दौड़ना चाहिए

रगों में है रक्त गर तो रक्त दौड़ना चाहिए 

पूजा करो गणेश

सर्व  काज संपूर्ण हो,  पूजा  करो  गणेश।  पूजनीय यह  देव  हैं,  माने गये   विशेष। 

युवा मन

टूटे पत्ते की तरह बिखर जाते है वो लोग जिनको न मंजिल मिलती है न रास्ते

ज़िंदगी इम्तेहान लेती है

लेती है ज़िंदगी इम्तेहान,  बार-बार इशारा करती है।