कविता

स्वतंत्रता का त्यौहार है

जाति धर्म ऊंच-नीच के बीच अब तक होता अत्याचार है मनाते तो हम हैं मगर क्या सच में...

गुनगुनी धूप में

फिर गुणा भाग में मैं भटकने लगा आंख में कोई सपना खटकने लगा बात करना भी तो है जर...

नहीं भूल सकते हम इन वीरांगनाओ का बलिदान"

कस्तूरबा गांधी का नाम  हम कैसे भूल सकते हैं  कस्तूरबा गांधी दृढ़ आत्मशक्ति  व...

अमर रहे

अमर रहे वो बसंती चोला, जिसे पहन हुए वीर कुर्बान , अमर रहे वो तेरा तिरंगा, चूमे ...

श्रद्धा सुमन चढ़ाएं।

ट्ठारह सौ सत्तावन की  पहली जो चिंगारी थी, आज़ादी हासिल करने की  छोटी सी तैयारी...