कविता

पलायन

ये बंजर ज़मीनें, ये खण्डर मकां, राहों को तकते, ये जर्जर मकां,

हिन्दी प्रेमी

अगर हिन्दी नहीं बोलेंगे हम हिन्दोस्ताँ वाले,  तो फिर सोचें कि क्या सोचेंगे ये स...

हिन्दी की महिमा बढ़े

हिन्दी की महिमा बढ़े, होवे खूब प्रचार । सात समुन्दर तक जुड़ें, हिन्दी के 'गिरि' त...

हिन्दी दिवस

हिंदी तो सिरमौर है भाषाओं की प्राण।

सफाई

किसान का सपना

Kisan ka Sapna

गीत

गुमसुम बैठकर न आसमां देखते रहिये अंधेरे में बिन चांद के तारों से न पूछिये।

झांसी की रानी लक्ष्मी बाई

१. भरी हुकार मचाया हाहाकार झाँसी की रानी।

कलियां

रात भर ठंड में अलसाई गुलाब की कलियों पर 

सावन के मौसम में

सावन के मौसम में,  रिमझिम पानी बरसता है।

क्यूँ बने हो अश्म

पर्यंक पड़ा है खाली , प्रयूषण लगे है थाली ।