फिर सोचती हूं गुस्से में बोला होगा, गुस्से में बोला होगा शायद! नहीं-नह...
हवाओं के रुख की फ़िक्र परिंदे कहां किया करते हैं। अरमानों की उड़ान बेख़ौफ़ प...
सुबह की कोमल धूप गाँव के सूखे पेड़ों से छनकर आ रही थी। मिट्टी की पगडंडियों पर नंग...
शामो सहर ख्वाब नये दिखला रही है जिंदगी। बस गुजरती बस गुजरती जा रही है जिंदगी।। ...