फ़िराक़ गोरखपुरी का असल नाम रघुपति सहाय था। वो २८ अगस्त १८९६ ई. में गोरखपुर में पै...
उत्तर प्रदेश के जिला आजमगढ़ के, काली मिट्टी के पात्र बनाने के लिए प्रसिद्द गाँव, ...
अंत में न जाने क्या आया जी में/ कि मैंने एक अजब-सी पीड़ा से/ उस तरफ़ देखा/ जिधर बै...
मैला आँचल लिखा और उसके भीतर का टाइटल छपने जा रहा था तब मैंने मैला आँचल और नीचे ल...
छायावाद काल के स्वर्णिम साहित्य को हिन्दी साहित्य में सबसे ऊपर जगह मिली, सुमित्र...
१९०५ ई. में भेलसा से अंग्रेजी से एंट्रेंस परीक्षा पास करके आगे की पढ़ाई के लिए इल...
७. कालरात्रि- `एक वेणी जपकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता। लम्बोष्टी कर्णिका कणी तैलाभ...
ज्यादा देर वे पानी में नहीं रहीं।थोड़े देर पानी में एक दूसरे पर पानी के छींटे उड़ा...
ख़ान अब्दुल ग़़फ्फ़ार ख़ान (१८९० - २० जनवरी १९८८) सीमाप्रांत और बलूचिस्तान के एक म...
शिव सृष्टि का आधार है, जीवन में जहां भी सत्य है वही शिव है। संपूर्ण विषमताओं को ...
भारत का संविधान अपने सभी नागरिकों के लिए धर्म, लिंग, जाति आदि के दायरों से ऊपर उ...
लक्षद्वीप हमारे देश के दक्षिण पश्चिम तट से २००से ४००कि.मी. दूर अरब सागर में स्थि...
जिस तरह पेड़ से गिरते हुए सेब को देखकर न्यूटन को कालजयी विचार सूझे थे उसी तरह कंध...