कविता

जागो हे नवयुवकों

लोकतंत्र अब लोकतंत्र से,  भ्रष्टतंत्र में बदल गया।

एक कविता उनके नाम

कुछ दिवस की दूरियां रही पर लगता है बरसों की कुछ पल जैसे कटे ही नही जा रहे है अर...

वीर सैनिक

कलाई पर सजी राखी बहन की है कहती भैया फिर आना तू घर पर सुला मुझको तू लोरी आ...

तुमको वंदन हे रघुनंदन

ना जाने ये कैसी परीक्षा थी           सदियों - सदियों से प्रतीक्षा थी

चींटी के पर

"सर ये विनोद इधर क्यों आ रहा है?" "अरे वही...हर साल की तरह अपना प्रमोशन न होन...

नव वर्ष

भूल कर बीती बातों को एक नया मुकाम हासिल हो

राम सत्य है सदा से उनका न कोई सानी है

आज सनातनी  एक हुए तो  राममय हुआ संसार| हर जन-जन,कण -कण में छाई है खुशियां अपार|

सूखा पेड़

सूखे पेड़ को हराभरा होने की आश है खाद, बीज पानी की जरूरत इसे खास है

कौन हिन्दू है ?

एक सनातनी ने बौद्ध से कहा है- तुम हिन्दू नहीं, तुमने बुद्ध को चुना है। यह सुन...

शब्द बोलते है,

उसका हर शब्द, गवाह है इस बात का; कि किस्से-कहानियाँ बनायी नहीं जाती; बल्कि, घ...

समय है त्यौहार का

सुपर्व है उपहार का समय है त्यौहार का

मतदान का त्यौहार

यूं अपने सहयोग से मतदान अभियान को सफल बनाओ।

दीपावली पर स्नेह

दीपावली स्नेह मिलन में, सब अपनो को बुलाए अपने घर।

मैं तुम में रहती हूँ

आँख का पानी हो गई हूँ बच्चों की कहानी हो गई हूँ

चरवाहा

सतही तौर पर हँसता रहा वह बाबूजी!

बोधि वृक्ष

भावनाओं की इस मौन प्रक्रिया में शब्द विघ्न हैं