कविता

धीमा ज़हर

जीने की अभिलाषा लेकर जीनेवाले जग में, आदमी की ऐसी दुर्दशा पर दिल रोता है।

विज्ञान

हर जगह है व्याप्त-चर्चा, आज इस विज्ञान की, मिट रही मानस पटल से, कालिमा अज्ञान...

आज़ादी की पहली सुबह

फूलों से भर दें यह गुलशन हमसब इस बगिया के माली

जिनकी बड़ी ज़ुबान

ऊँट के मुँह में जीरा जैसे मिली मदद है सरकारी; डीजल- चाय,पेंसिल- बीड़ी पर जी ऐस...

एक पिता की आवाज़

Ek Pita ki awaz

मन सुन्दर तो सब सुन्दर

केवल क्षण भर की सुंदरता है नहीं मुझे स्वीकार। सारा जग हो, आलोकित यही प्रण है इस...

स्वतंत्रता का त्यौहार है

जाति धर्म ऊंच-नीच के बीच अब तक होता अत्याचार है मनाते तो हम हैं मगर क्या सच में...

गुनगुनी धूप में

फिर गुणा भाग में मैं भटकने लगा आंख में कोई सपना खटकने लगा बात करना भी तो है जर...

नहीं भूल सकते हम इन वीरांगनाओ का बलिदान"

कस्तूरबा गांधी का नाम  हम कैसे भूल सकते हैं  कस्तूरबा गांधी दृढ़ आत्मशक्ति  व...

अमर रहे

अमर रहे वो बसंती चोला, जिसे पहन हुए वीर कुर्बान , अमर रहे वो तेरा तिरंगा, चूमे ...

श्रद्धा सुमन चढ़ाएं।

ट्ठारह सौ सत्तावन की  पहली जो चिंगारी थी, आज़ादी हासिल करने की  छोटी सी तैयारी...