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श्रम का सम्मान

समाज के निर्माण में है जिनकी  महत्ता,  मजदूरों को समर्पित है  मेरी कविता। श्...

हाइकु

टूट रहा था घर और मकान माँ के मरते 

ज़मीर मरा हुआ

जिनका मर जाता है ज़मीर, वे लफ्जों को अल्फाज नहीं बना सकते, आमिर का अलम बन जाती ...

बदल गए औजार

आरी काटती है लकड़ी वसूला देता है आकार रन्दा छीलता है चिकना करता है छेनी त...

ग़ज़ल

धर्म का युद्ध

 धरा पर स्वर्ग देखने चला था,    तूने वो क्या दृश्य दिखा दिया,    चंद पल खुशी क...

भारत

भारत में विविधता संग है, भारत है निर्मल न्यारा। बिखरी पर्वों की उमंग यहां भार...

एक गीतिका

बाण शब्दों के नुकीले हो गए। कोर नैनों के पनीले हो गए।  चोट अपनों से लगी तो य...

सितारों से आगे...

मुख़्तसर सी ज़िंदगीr है  और बातें हजार  चलो, कुछ बात करते हैं  इस बात के आगे....

धम्म मार्ग

खुद के दीपक खुद बन जाएं, मन के अंधियारों को मिटाए, विश्व-शांति और प्रेम के, आ...

निर्बलों का बल

हे! भगवान  तु निर्बलों का है बल और है तु गंगा का जल  तु है किसानों का हल  और...

मन

न चंचल है, मन निर्मल है  मन भ्रष्ट दिशा में जाता है।  मन का स्वभाव, अति वेगवान...

आखिर कब तक

कब तक.. आखिर कब तक...यह पूछ रही भारत माता  रो रही है जार-बेजार, बेशुमार भारत मा...

तुम मरो !

फिर सोचती हूं गुस्से में बोला होगा,   गुस्से     में बोला होगा शायद!   नहीं-नह...

गज़ल 

हवाओं के रुख की फ़िक्र  परिंदे कहां किया करते हैं। अरमानों की उड़ान बेख़ौफ़  प...

पास बैठो

बैठो न पास जरा-सी देर  कि देख पाऊं तुम्हारी  आंखों में अपनी परछाईं।