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प्रकृति शक्ति रौद्र रूपा

सुना है आज  प्रकृति की याद आया है !

उधर ही ले चलो कश्ती, जहां सबने उसको तबाह किया है….

 

भागादौड़ी की रेस में छोड़ दिया नैतिकता का पथ ..

हमने छोड़ दिया मानवता का पथ …

हमने छोड़ दिया संवेदना का साथ ।

 

हमने जोड़ा दिमाग से नाता ।

हमने जोड़ा मशीन से नाता  ।।

 

प्रकृति है जैसी  मां का दामन , 

नहीं देती प्रत्यपकार किसी को । 

 

किया है हमने कुंठित उनको ,

किया है मैला मिलकर उनको ।।

 

रौद्र रूप जब उसने दिखाया । 

दिमाग से नाता काम ना आया ।।

 

बैठा दिया है घर पर सबको ।

आधुनिकता में पुरातन ला दिया है सबको ।।

रामायण महाभारत पर लाया है सबको ।

नैतिकता का पाठ पढ़ाया है सबको ।।

एक छोटी सी प्रयास

साहब कुमार

मोतिहारी (बिहार)

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Written by Sahitynama

साहित्यनामा मुंबई से प्रकाशित साहित्यिक पत्रिका है। जिसके साथ देश विदेश से नवोदित एवं स्थापित साहित्यकार जुड़े हैं।

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