वायलर रामवर्मा का जन्म 25 मार्च 1928 को दक्षिण भारतीय राज्य केरला के अल्लापुझा जिले के एक छोटे से गांव में हुआ थाबायलर नाम वर्मा ने बहुत ही कम उम्र में अपने पिता को खो दिया और पारंपरिक गुरुकुल ढंग से उनके चाचा ने उनकी शिक्षा की देखरेख की इसके बाद औपचारिक शिक्षा संस्कृत स्कूल के साथ साथ चेरथला इंग्लिश स्कूल में हुए. जब वह स्कूल में पढ़ाई करते थे तभी सोने ने कविता लिखना प्रारंभ कर दिया. राम वर्मा की पहली कविता सौराट पत्रिका में प्रकाशित की जिसे उन्होंने कक्षा नौवीं के बाद पढ़ाई छोड़ने के बाद भी जारी रखा और अरूणोदयम और चक्रवलम जैसी पत्रिकाओं में अपने कविताएं प्रकाशित की राम वर्मा ने 1951 में जनाधिपथ्यम नाम से एक सप्ताहिक आरंभ किया परंतु साम्यवादी आदर्शों को बढ़ावा देने वाले लेख प्रकाशित करने वाले सप्ताहिक बहुत अधिक समय तक नहीं चल पाया जिसके बाद उन्होंने मद्रास के प्रकाशन के संपादक के रूप में काम किया.
वायलर रामवर्मा का पारिवारिक जीवन:-
राम वर्मा ने 1951 में पुथेकोविलकथु चंद्रमती थंबूरत्ती शेर शादी की लेकिन वे दंपत्ति निसंतान थे. जिसके बाद उन्होंने चंद्र मती थंबूरत्ती की छोटी बहन भारती थंबूरत्ती के साथ अपना पारिवारिक जीवन शुरू किया जिसके बाद उन्हें एक बेटा वायलर शरद चंद्र वर्मा, तीन बेटियां इंदुलेखा यमुना और सिंधु थी.
वायलर रामवर्मा की रचनायें:-
राम वर्मा की पहली काव्य रचना पद मुद्राकाल 1948 में प्रकाशित हुई जो उन दिनों गांधीवादी आदर्शों के प्रति उनकी आत्मीयता को प्रदर्शित करती थी इसके बाद राम वर्मा ने समाजवाद के प्रति अपना विचार में परिवर्तन कर दिया और भारत की कम्युनिस्ट पार्टी के साथ संपर्क में बन गये. उन्होंने केरल में प्रजाति और संपादक व्यवस्था के खिलाफ उल्लेख ने साहित्य कार्य किया भले ही वह उच्च जाति परिवार से थे परंतु उनका भारतीय संस्कृति के प्रति बहुत ही अच्छा लगा वो देखा जा सकता था जो सर्गासन गीतम कविता में परिलक्षित होता है 1950 और 1961 के बीच, उन्होंने कोंथायूम पूनूलम (1950), नादिंते नादम , एनिक्कु मारामामिला , मुलंकाडु (1955), ओरु जुदास जनिक्कुन्नु (1955), सहित कई संकलन प्रकाशित किए. एंटे मत्तोलिकविथाकल (1957), और सरगसंगेथम (1961), आयशा नामक एक खंडकव्यम , दो लघु कथाएँ, रक्तम कलारना मन्नू और वेट्टम थिरुथुम के साथ-साथ नाम से एक यात्रा वृतांत, पुरुषंथरंगलिलुडे जिसमें राम वर्मा की पहली यात्रा के समय उनके अनुभव को विस्तृत किया गया 1956 में एशियाई लेकर सम्मेलन में भाग लेने के लिए राम वर्मा दिल्ली गए थे.
वायलर रामवर्मा को प्राप्त पुरस्कार और सम्मान:-
राम वर्मा को 1962 में उनकी कविता संग्रह वर्ग संगठन के लिए कविता के लिए केरल साहित्य अकादमी के पुरस्कार से सम्मानित किया गया केरल राज्य जल चित्रकार मैंने फिल्मों के लिए उनके गीतों को भी चुना 1969 में सर्वश्रेष्ठ गीत के लिए उद्घाटन केरल राज्य फिल्म पुरस्कार के लिए नदी और कदलपालम में उन्हें पुरस्कार दिया गया. वायलर रामवर्म आने मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा उनकी स्मृति में एक वार्षिक साहित्यिक पुरस्कार वायरल पुरस्कार की भी स्थापना की गई यह पुरस्कार 27 अक्टूबर को कवि की पुण्यतिथि पर दिया जाता है. इस पुरस्कार में ललितंबिका अंतर्जन्म टांका जी शिव शंकर पिल्लई सुगाथाकुमारी एमटी वासुदेवन नायर के अय्यप्पा पड़ी कर और के सच्चिदानंद भी शामिल है राम वर्मा के लिए उसने वायलर में उनके आवास पर एक स्मारक का निर्माण किया जिसमें एक साहित्यिक संग्रहालय पुस्तकालय कार्यालय, सभागार, शहीद चौक और सम्मेलन कक्ष है। वायलार रामवर्मा संस्कारिका वेदी, तिरुवनंतपुरम स्थित एक अन्य प्रसिद्ध संगठन, ने टेलीविजन कार्यक्रमों में उत्कृष्टता को मान्यता देने के लिए एक वार्षिक पुरस्कार, वायलार रामवर्मा पुरस्कार की स्थापना की है.
वायलर रामवर्मा का काव्य संकलन:-
-वायलार रामवर्मा (1948)। “पदमुद्राकाल” । नरसिंहविलासम । 3 मई 2019 को पुनःप्राप्त ।
-रामवर्मा, व्यालार (1950)। कोंथायुम पूनूलम । त्रिशूर: करंट बुक्स।
-वायलार रामवर्मा (1955)। एनिक्कु मारानमिला । वर्तमान पुस्तकें, त्रिशूर: वर्तमान पुस्तकें।
-रामवर्मा, व्यालार (1955). मूलंकाडु । कोट्टायम, एसपीसीएस।
-रामवर्मा, व्यालार (1955). ओरु जूडस जनिक्कुन्नु (मलयालम में)। त्रिशूर, करंट बुक्स।
-राम वर्मा वायलार (1957)। एन्ते मातोली कविथकल ।
-राम वर्मा व्यालार (1961)। सर्ग संगीतम । कोट्टायम: साहित्य प्रवर्तक सहकरण संगम।
लघुकथा संकलन:-
-वायलार रामवर्मा (1956)। रक्तम कलारन्ना मन्नू । जयश्रीः जयश्री।
-रामवर्मा, व्यालार (1987). वेट्टम थिरुथुम । तिरुवनंतपुरम, प्रभात।
निबंध संकलन:-
-वायलार रामवर्मा (1965)। पुरुषंदरंगलिलुदे . वर्तमान पुस्तकें: वर्तमान पुस्तकें।
-रामवर्मा, व्यालार (1985). कुप्पीचिल्लुकलम -रोसादलंगलम । कोट्टायम: नेशनल बुक स्टॉल।
वायलर राम वर्मा की मृत्यु:-
उन्हें उनकी कविताओं के लिए जाना जाता था जिसमें सरगसंगीथम, मुलंकाडु, पदमुद्राकाल, आयशा और ओरु जुदास जानिक्कुन्नु शामिल हैं और लगभग 1300 गीतों के लिए उन्होंने 256 मलयालम फिल्मों के लिए लिखा था। वायलर राम वर्मा की मृत्यु 27 अक्टूबर 1975 में हुई.